खेतों में खलियानों में, बनकर पंछी चहचहाना चाहती हूं। खेतों में खलियानों में, बनकर पंछी चहचहाना चाहती हूं।
एक पल हँसे, एक पल रोये, लगता अनजान, वक्त संग जीना जाने, वो जन पाता है पहचान। एक पल हँसे, एक पल रोये, लगता अनजान, वक्त संग जीना जाने, वो जन पाता है पहचान...
आजकल सभी अपनी मातृभाषा का महत्व खोते जा रहे हैं इसलिए यहाँ कुछ ख्याल प्रस्तुत कर रही हूँ आजकल सभी अपनी मातृभाषा का महत्व खोते जा रहे हैं इसलिए यहाँ कुछ ख्याल प्रस्तुत कर...
जनमानस की भाषा हिन्दी... जनमानस की भाषा हिन्दी...
फिर भी मातृभाषा अपनी हिंदी को, है थोड़ा -थोड़ा कर के ही सही जुबां पर लाते हैं। फिर भी मातृभाषा अपनी हिंदी को, है थोड़ा -थोड़ा कर के ही सही जुबां पर लाते हैं...
नवलेखकों का अंग्रेजी के तरफ बढ़ता प्रेम मान्य है परंतु हिंदी से प्रेम ना कर पाना उचित नहीं । - विद्रो... नवलेखकों का अंग्रेजी के तरफ बढ़ता प्रेम मान्य है परंतु हिंदी से प्रेम ना कर पाना ...